लेखनी प्रतियोगिता -16-Apr-2023 "मां के आंचल से"
माँ के आँचल से
फिर से मां के आंचल से, लिपट कर सोना है मुझको
बहुत थक गई हूं, अब थोड़ा रोना है मुझको
होठों पर दबे हुए कई अफ़साने हैं मेरे
अब सारा का सारा आलम, उसे बताना है मुझको
कब से सांसे दम तोड़े है पढ़ी हुई
उन सांसो की घुटन सुनानी है मुझको
फिर से मां के आंचल से, लिपट कर सोना है मुझको
बहुत थक गई हूं, अब थोड़ा रोना है मुझको.... !!
मां तेरे आंगन में फिर से, पहन के पायल नाचू मैं
अब उन घुंघरू की धुन, तुझे सुनवानी है मुझको
इन आंखों में बरसों से, पड़ा हुआ वीराना है
उन आंखों की चंचलता, अब दिखलानी है मुझको
सारे सपने दम तोड़ चुके हैं अब जिसके
उन सपनों पर पंख लगाने हैं मुझको
फिर से मां के आंचल से, लिपट कर सोना है मुझको
बहुत थक गई हूं, अब थोड़ा रोना है मुझको...... !!
माँ क्या फिर से समेटोगी मुझको, अपनी बाहों में
छटपटाती इन धड़कनों को, अलंगिन अपना दे पाओगी
मेरे इस तपते माथे पर, स्नेह का हाथ फिराओगी
चोट बहुत खाई मैंने इस बेदर्द ज़माने से
माँ क्या फिर से तुम मुझको छोटी बच्ची का हिर्दय दे कर
बोलो तुम झूठी दुनिया से, किनारा मेरा करवाओगी.....!!
मधु गुप्ता "अपराजिता"
Punam verma
17-Apr-2023 09:14 AM
Very nice
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Madhu Gupta "अपराजिता"
18-Apr-2023 06:02 AM
Thank you🙏🙏
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
17-Apr-2023 07:10 AM
Woow लाजवाब लाजवाब
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Madhu Gupta "अपराजिता"
17-Apr-2023 07:18 AM
Thank you, thank you, thank you🙏🙏
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ऋषभ दिव्येन्द्र
16-Apr-2023 10:54 PM
सुंदर भाव 👏👏
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Madhu Gupta "अपराजिता"
17-Apr-2023 06:57 AM
Thank you🙏🙏
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